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Friday, November 21, 2014

क्या है ये?



क्या है ये?क्या है ये?
कैसा आडम्बर है ये?
कैसा धोखा है ये?
या कोई अर्ध-सत्य है?
क्या है ये?क्या है ये?

क्या कोई चक्र-व्युह है रचा गया किसी अभिमन्यु के लिये?
या है कुरुक्षेत्र का युध-स्थल किसी अर्जुन के लिये
या है ये कोई लन्का उस राम के लिये?
क्या है ये?क्या है ये?

क्या फिर किसी अभिमन्यु का धोखे से वध किया जाएगा?
या इस बार अर्जुन प्रत्यन्चा चढाएगा?
क्या कोई क्रिष्ण है?क्या कोई द्रोण है?
क्या है ये?क्या है ये?




इस पर्वत का पार नहीं?
इस नदिया का तीर नहीं?
इस प्यास का अन्त नहीं?
क्या है ये?क्या है ये?

विवशताकपटछलयहि है ये!
मैं मेरा और तू तेरा,यही है ये!
जीतने की दौड मे कुचला जाना,यही है ये!
क्या है येक्या है ये?

ये दरिद्रता,विलुप्त होती मानवता!
क्षुब्ध चेतनाज्वलन स्वभावउग्र मन,
है पौरुष की पेह्चान?
क्या है ये?क्या है ये?

एक विच्लित मन पूछ रहा है उन कुशाग्र बुद्धिजीवियों से.
जो इसे प्रगति की नयी उचाई कह्ते हैं.
क्या है ये?क्या है ये


-- 
विशाल शर्मा 

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